स्वतंत्रता से जीने का हक छीन लिया हमारा। स्वतंत्रता से जीने का हक छीन लिया हमारा।
बचपन की थी सखी सहेली बहना थी मुँह बोली जब से गाँव शहर को आया बची न सुंदर बोली बचपन की थी सखी सहेली बहना थी मुँह बोली जब से गाँव शहर को आया बची न सुंदर बोली
नदियाँ सिकुड़ती जा रही हैं। नदियाँ सिकुड़ती जा रही हैं।
लौकी तोरई तक हुईं, औक्सीटोसिन युक्त। लगता है हो जायेगा, मनुज धरा से लुप्त॥ लौकी तोरई तक हुईं, औक्सीटोसिन युक्त। लगता है हो जायेगा, मनुज धरा से लुप्त॥
लोकतंत्र की मर्यादा पर करते कैसी चोट रामजी किसको डालूं वोट... लोकतंत्र की मर्यादा पर करते कैसी चोट रामजी किसको डालूं वोट...
संविधान का जर्जर तन मैं, अंधों को दिखलाता हूँ। बहरों की बस्ती में पीड़ा, लोकतंत्र की गाता हूँ।... संविधान का जर्जर तन मैं, अंधों को दिखलाता हूँ। बहरों की बस्ती में पीड़ा, लोकतंत्र...